Aab Maani Jaau आब मानि जाउ: मैथिली उपन्यासApoorva Chandram |
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अतीव अध अप अपन अल अस आ जे आँत आएब आड़ आते आन आब आव उस एकता एडि एहि कनिया कय करता करय का काल की के केक केर को गप गियर गुदा गोल घर चुहिया छधि छल छोकरा छोर जतन जाइत जान जाय जि जिधर जीकर जीयना जीवा जे जो जो जो अपन तं तखन तर तरल तरा ते तेल तो दर दस दिन दिस देना देने देब देल देसी धरि नहि ना नीक ने ने छल पता पर पुत्रों पूछ पोल प्यार प्र प्रेमनाथ फेर बस ब्रत भगीरथ भगीरथ वन भरत मना माइ मेल यक यम यय यया यर यल आ यह यहि राज्यपाल राम रायल रोक रोल लगाया लय लागत लागल ले लेक लेने वना वराह वह वहि वाल विधि शुरू संग सकल सकी सनक सभ समता सांय सात साथ सार साह सी से सोते सोन है हैं हैत होइत होति होया होर