Subrahmaṇya BhāratīKshitija Prakāśana, 1967 - 55 من الصفحات |
عبارات ومصطلحات مألوفة
अंग्रेजी अपना अपनी अपने अब अमर अय्यर आओ इन्दिया इस उठे उन दिनों उनका उनकी उनके उन्हें उन्होंने उस उसके एक ऐसे और कण्णन कन्हैया कभी कर भारती करके करते करने कवि कविताएँ कविताओं कह कर कहा का काम कि किया की कुछ कृष्ण के लिए को क्या क्यों गये गीत गीतों घर जनता जमीनदार जाता जाते जीवन जो तमिल तिलक तुम तू तो था थी थे दिन दिया दे देते देश देशभक्ति धन्य नाम ने ने भारती पत्रिका पर पास पुदुच्चेरी प्रकट प्रेयसी फिर बड़ी बड़े बन बस बहुत बात बाद भय नहीं भर भारत भारती की भारती को भी भेरी मद्रास मधुर मन माँ मित्र में भारती मैं यह यहाँ यही या ये रहा रहे रूप लगे लेकिन लोग वह वहाँ वाराणसी विदेशी वे श्री अरविन्द सन् सब सभी समय सुब्बैया से हम हमारा हर ही हुआ हुए हूँ हृदय है हैं हो गया होते होने