दुख मोर लिखियाछे कपाले ओरे विधि निरले वसिया ॥ धुया ॥ ४६३ एक दिन दुइ दिन सात दिन हुइल | किवा रात्र किवा दिन हाटिवार लागिल ॥ सुन्नाकारत हारि गेल सुन्नत चलिया । हाटिवार ना पारे राजा कपाल चड़ मारे ॥ आमार एंड्र दुःख वैलम् कार आगे । चार किछु दुःख दिल वाला वाड़ी दिया । जुलत जुलत चक्षत आइल निन ॥ ४६४ ′′ ४६६ ४६७ ४६८ ४६६ ४७० ॥ धुया ॥ ४७१ जल भाङ्गिया वाला भाङ्गिया वड़ पेनु दुःख । ४७२ ४७३ ४७४ शून्याकाशे ॥ ४०२ । उवजील उपजिल अर्थात् जन्म हदूल ॥ ४६७। सुन्नाकारत । ४७३ । निन निद्रा ॥ १७४।ळेनु पाइलाम ॥ राम राम वलिया कर्नत हात दिल | ध्यानत याछिल हाड़ि चमकिया उटिल | ध्यानत हाड़ि गुरु ध्यान करि चाय । ध्यानर माझत साल काओन कड़ी भोलार लागाल पाय ॥ एर मा मान आके ज्ञानत डाङ्गर | साल कान कड़ि दिछे झोलङ्कार भितर ॥ AA ४८२ । सुक = सुख ॥ |